छत्तीसगढ़राज्य

दिव्यांग बच्चों की मेहनत को मिला सहारा: अंजय शुक्ला ने कोपल वाणी से खरीदे 15,000 रुपये के दीपक, बढ़ाया उनका हौसला

रायपुर
 दीपावली की खरीदारी के लिए जब बाजार सज चुके हैं और चारों तरफ घरों, दुकानों और कार्यालयों में साज-सज्जा की तैयारी चल रही है, वहीं कोपल वाणी संस्था के दिव्यांग बच्चे भी अपनी रचनात्मकता से घर की साज-सज्जा के लिए विशेष दीपक और सामग्री तैयार कर रहे हैं। इन बच्चों के श्रम और कौशल विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, श्री अंजय शुक्ला ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संस्था को सहयोग प्रदान किया है।

श्री अंजय शुक्ला, जो प्रदेश संयोजक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सदस्य प्रदेश कार्यसमिति भाजपा और अध्यक्ष छत्तीसगढ़ ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के रूप में कार्यरत हैं, ने कोपल वाणी के बच्चों का मनोबल बढ़ाने हेतु तकरीबन 15,000 रुपये के हस्तनिर्मित दीपक खरीदकर संस्था को आर्थिक सहयोग दिया। यह पहल इन बच्चों को स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से की गई है।

परिवार सहित पहुंचे संस्था

सुबह-सुबह ही श्री अंजय शुक्ला अपने परिवार के साथ अविनाश गार्डन स्थित कोपल वाणी पहुंचे। उन्होंने वहां बच्चों द्वारा बनाई गई सामग्री की बारीकी से सराहना की और बच्चों को अलग-अलग क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस सहयोग और प्रोत्साहन से बच्चों के चेहरे पर साफ खुशियां दिखाई दे रही थीं। उन्हें यह संतोष था कि उनके हाथों से बनाए दीपक दीपावली में घरों को रोशन करेंगे।

कौशल विकास रोजगार की कुंजी: पद्मा शर्मा

कोपल वाणी संस्था की अध्यक्ष पद्मा शर्मा ने इस सहयोग पर श्री शुक्ला का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बच्चों की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ये बच्चे सुन नहीं पाते, जिसकी वजह से बोल भी नहीं पाते। ऐसी स्थिति में उनका संप्रेषण (Communication) सुचारू रूप से नहीं हो पाता, और उन्हें रोजगार मिलने में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

श्रीमती शर्मा ने कहा, "ऐसी स्थिति में इनका कौशल विकास अत्यंत आवश्यक है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। समाज के लोग जब इस तरह से इनका उत्साहवर्धन करते हैं, तो इनका सीखने में रुझान बना रहता है और इन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।"

श्री शुक्ला का यह सहयोग न केवल आर्थिक मदद है, बल्कि यह समाज के समक्ष यह संदेश भी प्रस्तुत करता है कि त्योहारों के अवसर पर हमें ऐसे हुनरमंद बच्चों के कौशल विकास और आत्मनिर्भरता की मुहिम में सक्रिय रूप से सहयोग करना चाहिए।