पीएम जनमन ने दिलाई पहाड़ी कोरवाओं को शासकीय योजनाओं के लाभ….
रायपुर: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय में आने वाले पहाड़ी कोरवा अपनी विलक्षण संस्कृति और सरल स्वाभाव के लिए प्रसिद्ध हैं। इस जनजाति के लोग पहाड़ी क्षेत्रों में ऊंचे पहाड़ों पर दूर-दूर अपने घर बनाकर निवास करते हैं, परन्तु समय के साथ यह विशेषता ही उनके लिए चुनौतियां लेकर आईं हैं। दुर्गम ऊंचे पहाड़ों में निवास करने के कारण शासकीय योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना कष्टकर हो रहा था। पहाड़ी कोरवाओं को शासकीय जनहितकारी योजनाओं का लाभ मिले इस हेतु प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लायी गई थी, पर विस्तृत भू-भाग में पहाड़ी क्षेत्रों में सीमित जनसंख्या स्तर के कारण वे इसके लाभ से वंचित थे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के द्वारा सभी तक शासन की पहुंच सुनिश्चित करने एवं सभी के समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) विशेष पिछड़ी जनजातियों के क्षेत्रों के विकास के लिए लायी गई। इसके मापदण्डों में परिवर्तन कर सौ लोगों की जनसंख्या होने पर भी उन्हें मुख्य मार्ग से जोड़ने का कार्य किया गया।
जिसके तहत जशपुर जिले के बगीचा विकासखण्ड के पहाड़ी कोरवा ग्राम हेठसेमर को सन्ना-रौनी मुख्य मार्ग से जोड़ा गया। जिसमें 3.67 करोड़ रुपए की लागत से पांच किमी लंबी सड़क का निर्माण किया गया। इस रास्ते में दुर्गम पहाड़ और उथले पाट भी शामिल थे, इन सभी समस्याओं का समाधान निकालते हुए रोड़ का निर्माण कार्य पूरा किया गया।
सड़क निर्माण होने से हेठसेमर में बसे पहाड़ी कोरवा जनजातियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के नए द्वार खुल गए हैं। सड़क बनने से पहले बारिश के मौसम में कच्ची पगडंडी, दुर्गम पहाड़ी, जहरीले जानवरों की उपस्थिति और छोटे छोटे नालों से हेठसेमर तक पहुँचना दूभर हो जाता था, बारहमासी सड़क के बन जाने से अब बच्चों एवं ग्रामीणों को शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये सुलभ आवागमन प्राप्त हो रहा है। उत्पादक किसानों को कृषि उपज एवं अन्य दैनिक वस्तुओं के लिए सोचना नहीं पड़ता।
जिससे शासन की योजनाओं का लाभ भी ग्रामीण अब बढ़ चढ़ कर ले रहे हैं। जिससे रोजगार के भी नए रास्ते खुल गए है। सड़क के बन जाने से सामाजिक उन्नति भी हुई है, शादी-विवाह, धार्मिक कार्यक्रम एवं मेला-मंडई जैसे आयोजनों में लोगों का आवागमन बढ़ने से सामाजिक संपर्क को भी प्रोत्साहन मिला है। इसके साथ ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा हेतु आपातकालीन चिकित्सा वाहन की सुगम-सुविधा प्राप्त हो रही है, जिससे सर्पदंश, आकस्मिक दुर्घटना, मातृत्व स्वास्थ्य जैसी दशाओं में तुरन्त स्वास्थ्य सुविधाएं उनके दरवाजे पर ही उपलब्ध हो रही है।