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कौन हैं उमेश पटेल? किया भाजपा का सूपड़ा साफ, यहां हुआ बड़ा उलटफेर…

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम भाजपा के लिए काफी चौंकाने वाले थे।

भाजपा के लिए एक बड़ा उलटफेर दमन और दीव की एकमात्र लोकसभा सीट पर भी देखने को मिला।

यहां उसके कद्दावर नेता और तीन बार के सांसद लालू पटेल को निर्दलीय उम्मीदवार उमेश पटेल ने 6,225 वोटों के अंतर से हराया।

अपनी जीत के बाद उन्होंने कहा कि राह आसान नहीं थी। भाजपा ने उनके नाम वाले दो उम्मीदवार मैदान में उतारे। यही नहीं उनके नाम वाले एक प्रत्याशी ने विज्ञापन में भाजपा को समर्थन की घोषणा भी की।

दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की मुखर आलोचना 46 साल के उमेश पटेल को लोकसभा चुनाव में कुल 42,523 वोट मिले, जबकि भाजपा के लालू पटेल को केवल 36,298 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार केतन पटेल के पक्ष में 11,258 वोट पड़े।

कौन हैं उमेश पटेल
कला और वाणिज्य में डबल डिग्री लेने वाले उमेश दमन यूथ ऐक्शन फोर्स चलाते हैं। यह एक गैर सरकारी संगठन है जो सामाजिक मुद्दों पर अपना फोकस रखता है।

उमेश पटेल राजनीति में नए नहीं हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी चुनावी शुरुआत की। उस समय वह तीसरे नंबर पर रहे थे। जबकि भाजपा के लालू पटेल चुनाव जीते थे। 

प्रफुल्ल पटेल के आलोचक
अपनी जीत के बाद उमेश पटेल ने कहा, “यह सब आठ साल पहले शुरू हुआ जब दीव और दमन को नए प्रशासक के तौर पर प्रफुल्ल पटेल मिले।

यह एक गैर-आईएएस व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त करने का राजनीतिक कदम था। केंद्र शासित प्रदेश को प्रगति और विकास देने के बजाय प्रशासन ने लोगों के घरों और व्यवसायों को ध्वस्त कर दिया।

सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने लोगों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया और विपक्ष पूरी तरह से निष्क्रिय रहा। इस चुनाव में लोगों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को मुंह तोड़ जवाब देते हुए पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

उन्होंने अपनी जीत को लोकतंत्र की जीत बताया और क्षेत्र की प्रगति और विकास के लिए काम करने का संकल्प लिया।

चुनाव में मेरे नाम जैसे दो उम्मीदवार खड़े किए
उमेश पटेल के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में उनकी जीत उतनी आसान नहीं थी। दमन एवं दीव लोकसभा सीट के लिए उठे कुल सात उम्मीदवारों के नाम उमेश पटेल ही थे।

उनका कहना है कि मतदाताओं को काफी गुमराह भी किया गया लेकिन, विरोधियों की साजिश नाकाम रही। मामले से परिचित एक ने कहा, “जीतने वाले उम्मीदवार के समान नाम वाले एक उम्मीदवार ने स्थानीय समाचार पत्रों में एक विज्ञापन दिया, जिसमें मतदाताओं से चुनाव में भाजपा का समर्थन करने की अपील की गई।”

गौरतलब है कि 1987 के बाद से दमन और दीव में दस लोकसभा चुनाव हुए हैं। कांग्रेस ने पहला चुनाव जीता, उसके बाद 1989 में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई।

इसके बाद भाजपा ने 1991, 1996 और 1998 में जीत हासिल की। ​​हालांकि, कांग्रेस ने 1999 में सीट पर कब्जा कर लिया और 2004 में फिर से जीत हासिल की। ​​तब से, भाजपा ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में जीत हासिल की है।

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