जान जोखिम में डालकर राशन लेने पहुंच रहे ग्रामीण, जर्जर भवन में संचालित है राशन दुकान
महासमुंद
छत्तीसगढ़ में लोग जान जोखिम में डालकर सरकारी राशन लेने के लिए मजबूर है. मामला महासमुंद जिले के पिथोरा नगर के क्रमांक-2 की उचित मूल्य दुकान का है. यह दुकान एक ऐसे भवन में चल रही है, जो जर्जर और क्षतिग्रस्त हो चुका है. लंबी कतारों में घंटों इंतजार करने वाले लोग न केवल बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, बल्कि हर पल हादसे की आशंका के साये में राशन लेने पहुंच रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली सस्ते अनाज का वादा तो करती है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की अनदेखी ने पिथौरा के लोगों को मुसीबत में डाल दिया है. राशन दुकान में न बैठने की जगह, न पीने का पानी, और न ही शौचालय. अगर किसी को वॉशरूम की जरूरत पड़े, तो घर लौटना पड़ता है, जिससे उनका नंबर छूट जाता है और दिन बर्बाद हो जाता है.
महिलाओं को सबसे ज्यादा मुसीबत
छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए महतारी वंदन योजना संचालित कर रही है, लेकिन इस राशन दुकान में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को ही हो रही है. महिलाएं अपने बच्चों के साथ कतार में घंटों खड़ी रहती हैं. स्थानीय लोग कहते हैं, “प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.”
90 लाख की कमाई, फिर भी नहीं हुई मरम्मत
यह दुकान कौड़िया सहकारी विपणन संस्था की जमीन पर है. संस्था ने दुकान के सामने 9 दुकानें बनाकर नीलामी से 90 लाख रुपये कमाए और हर महीने 700 रुपये प्रति दुकान किराया भी वसूल रही है. इसके बावजूद, वर्षों से जर्जर पड़े राशन वितरण भवन की मरम्मत तक नहीं कराई गई.
जब नगर पंचायत पिथौरा के अध्यक्ष देवसिंह निषाद से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि सहकारी समिति को व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि यह उनकी संस्था है. वर्षों से भवन जर्जर है. पीने के पानी और बैठने की व्यवस्था जल्द कराई जाएगी.
वहीं सहकारी उप पंजीयक के संजय कुमार गुप्ता ने मामले पर कहा कि अभी दो-तीन दिन ही हुए हैं पदभार ग्रहण किए. पिथौरा के कर्मचारियों को पुराने भवन का एस्टीमेट तैयार करने कहा गया है. जल्द ही सुधार कार्य शुरू होगा.