मध्यप्रदेशराज्य

जन, जल, जंगल और जमीन के अधिकारों को समझ रहे जनजातीय परिवार

भोपाल : मध्यप्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत जनजातियों को जन, जल, जंगल, जमीन और श्रमिकों के अधिकारों की जानकारी देकर इनके संरक्षण एवं जनजातीय सांस्कृतिक परम्पराओं की सुरक्षा के लिये अब से करीब दो साल पहले एक बड़ा कदम उठाया गया। जनजातीय समुदाय के आद्य गौरव के प्रतीक भगवान बिरसा मुण्डा के जन्म-दिवस पर मध्यप्रदेश में 15 नवंबर 2022 को पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) नियम-2022 या कहें पेसा एक्ट लागू किया गया।

मध्यप्रदेश के 20 जिलो के 88 विकासखंडों की 5133 ग्राम पंचायत क्षेत्रों के 11 हजार 596 गांव पेसा क्षेत्र में आते हैं। प्रदेश के अलीराजपुर, झाबुआ, मंडला, अनूपपुर और बड़वानी पूर्ण पेसा जिले हैं। वहीं बालाघाट बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, खंडवा, नर्मदापुरम, खरगौन, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी उमरिया एवं रतलाम आंशिक पेसा जिलो की श्रेणी में आते हैं।

पेसा अधिनियम के क्रियान्वयन से अनूपपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के परिवेश में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। यहां ग्रामीणों को उनके अधिकारों एवं रोजगार के बारे में जानकारी देकर गांव में ही रोजगार तथा हितग्राहीमूलक योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। अनूपपुर जिले की जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ की ग्राम पंचायत दमेहडी में पेसा अधिनियम का सकारात्मक प्रभाव साफ-साफ देखने को मिल रहा है। यहां के जनजातीय समुदाय-जन, जल, जंगल एवं जमीन के अधिकार को समझ चुके हैं तथा शासन की मंशा के अनुरूप पेसा अधिनियम से अपनी उन्नति की राह पर अग्रसर हो रहे हैं। यहां के ग्रामीण आपसी भाईचारे से मिल-जुलकर रह रहे हैं। यहां लोगों का अपने जंगल व वन्यजीवों के साथ साहचर्य जीवन व्यवहार भी बेहद सौहार्दपूर्ण हो गया है।

पेसा अधिनियम लागू होने के पहले इस ग्राम पंचायत में बहुत ज्यादा विपरीत परिस्थितियां हुआ करती थीं। लोग हमेशा ही आपसी लड़ाई-झगड़े और कोर्ट-कचहरी में फंसे रहते थे। पेसा अधिनियम के कारण गांव की स्थिति में बदलाव हुआ है। अब गांव के छोटे-मोटे विवादों को मिल-बैठकर गांव में ही सुलझा लिया जाता है। यहां के ग्रामीण बताते हैं कि पहले पुलिस केस होता था, उसके बाद वकीलों तथा कोर्ट के चक्कर लगा-लगाकर आखिरी विकल्प समझौता करना ही होता था, तब तक हमें बेहद परेशान होना पड़ता था। अब इन मुसीबतों से हमें छुटकारा मिल गया है।

ग्राम दमेहडी के लोगों का कहना है कि जब से पेसा एक्ट लागू हुआ है, तब से गांव में शांति, उन्नति, प्रगति एवं आपसी भाईचारे का माहौल कायम है। अब गांव का झगड़ा विवाद निवारण समिति द्वारा आसानी से सुलझा लिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति थाने चला भी जाता है, तो लोकल थाने की पुलिस द्वारा शांति एवं विवाद निवारण समिति के सदस्यों को सूचना दी जाती है। संज्ञान में आते ही ग्राम सभा द्वारा उस व्यक्ति को समझाकर मामले का निपटारा गांव में ही कर लिया जाता है। जहां पेसा एक्ट लागू होने के बाद गांव के लगभग 25-30 लड़ाई-झगड़ों में शांति एवं विवाद निवारण समिति द्वारा समझौता करा दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *