राजनीती

इस साल चार राज्यों के विधानसभा चुनाव तय करेंगे बीजेपी का भविष्य

नई दिल्ली। इस साल देश के चार राज्यों महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होना हैं। अभी हरियाणा में बीजेपी की सरकार है, वहीं महाराष्ट्र में भी बीजेपी की गठबंधन सरकार है। झारखंड में बीजेपी सत्ता में वापसी करने की कोशिश कर रही है तो जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होना है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस बार 400 पार का नारा जरूर दिया था, लेकिन वह इस आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई। लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहता है, यह निर्भर करेगा कि बीजेपी आगे की दिशा क्या तय करती है।
हरियाणा में दो बार से लगातार बीजेपी सत्ता पर काबिज है। 2014 में जब पार्टी यहां सत्ता में आई तो मनोहरलाल खट्टर को सीएम बनाया गया था फिर 2019 का विधानसभा चुनाव खट्टर के नेतृत्व में ही लड़ा गया और जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन बाद में यह गठबंधन टूट गया। उसके बाद चुनाव से कुछ ही पहले नायब सिंह सैनी को सीएम बनाकर खट्टर को केंद्र में भेज दिया। अब बीजेपी के पास हरियाणा में कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा है। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही दिख रही है कि वह किसी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर आगे बढ़ेगी।
बीजेपी के लिए हरियाणा इसलिए अहम है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में किसान हैं, भारी तादाद में यहां के युवा फौज में जाते हैं। नए कृषि कानून को लेकर किसानों की नाराजगी की चर्चाएं आज भी होती रहती हैं। साथ ही सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ को लेकर विपक्ष का रुख आक्रामक है। राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के वक्त से इस मसले को उठा रहे हैं कि यह स्कीम युवाओं के खिलाफ है। हालांकि पीएम मोदी ने करगिल विजय दिवस पर इस स्कीम को लेकर विपक्ष को घेरा, उससे यह संदेश साफ है कि इस स्कीम में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने वाला है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर होगा, यह देखना होगा। 
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी दस सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार बीजेपी के खाते में सिर्फ पांच सीटें ही आईं। वोट शेयर देखें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 58फीसदी वोट मिले जबकि इस लोकसभा चुनाव में उसे 46.06फीसदी मिले। कांग्रेस का वोट शेयर 2019 में 28.42फीसदी था वहीं इस बार 43.73फीसदी रहा। लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस मजबूत होकर उभरी और बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी चुनौती बनेगी।
महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की सरकार है। लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। बीजेपी को सिर्फ नौ सीटों पर लोकसभा चुनाव में जीती मिली जबकि उसने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 106 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं। यहां मराठा आरक्षण एक बड़ा मुद्दा है जो बीजेपी के लिए सिर दर्द बन सकता है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को मराठवाड़ा क्षेत्र में सफलता नहीं मिली। वहां की आठ सीटों में से चार सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी।
मराठवाड़ा क्षेत्र में 46 विधानसभा सीटें हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने इस क्षेत्र में 16 सीटें जीती थी। एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी के साथ बीजेपी किस तरह तालमेल करती है यह भी आने वाला समय बताएगा। बीजेपी में एक धड़ा ऐसा है जो चाहता है कि महाराष्ट्र में बीजेपी अपने दम पर चुनाव लड़े और चुनाव के बाद बनी स्थिति को देखते हुए गठबंधन का फैसला करे। हालांकि इसे लेकर सभी सहमत नहीं हैं, क्योंकि केंद्र में भी गठबंधन की ही सरकार चल रही है। सूत्रों के मताबिक पार्टी इसे लेकर गुप्त सर्वे भी करवा रही है कि क्या बीजेपी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
झारखंड की बात करें तो यहां बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती जनजातीय आबादी को साथ लाने की है। उसके पास आदिवासी नेता तो हैं लेकिन हेमंत सोरेन के मुकाबले का चेहरा नहीं है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी जनजाति आरक्षित पांच सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत सकी। झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित हैं। 
वहीं अगर जम्मू-कश्मीर को देखें तो यह चुनाव बीजेपी के लिए साख का सवाल होगा। धारा 370 हटने के बाद का यह पहला विधानसभा चुनाव होगा और इसके नतीजे बताएंगे कि असल में लोगों बीजेपी के इस कदम से खुश है या नही। परिसीमन के बाद जम्मू रीजन में विधानसभा सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 तो कश्मीर में 46 से बढ़कर 47 हो गई। 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हैं। यह माना जा रहा है कि बीजेपी जम्मू रीजन की सभी 43 सीटों पर या उससे ज्यादातर सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पिछले कुछ समय में जिस तरह से जम्मू रीजन में आतंकी हमले बढ़े हैं, उससे भी बीजेपी के इस नैरेटिव को झटका लगा है कि धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति आ गई है।

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