पीयूष गोयल का बयान: यूपीए के दशक ने छोड़ी नाजुक अर्थव्यवस्था
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल बजट पर विपक्षी दलों की ओर से किए जा रहे हमलों पर पलटवार किया है। कांग्रेस, राहुल गांधी और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर टिप्पणी करते हुए गोयल ने कहा, "2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि उन्हें एक बहुत मजबूत अर्थव्यवस्था विरासत में मिली है। उस समय विकास दर 8% से अधिक था, अर्थव्यवस्था के आकार की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत था। मैंने यूपीए सरकार के दस भाषण पढ़े हैं, एक बार भी एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी लाने का उल्लेख नहीं किया गया
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि उन्होंने एक बार भी गरीबों को मुफ्त घर, मुफ्त बीमा, मुफ्त अनाज देकर उनके उत्थान की कोशिश करने की बात नहीं की। यूपीए सरकार के दस वर्षों में, वे देश को लगभग 4.4% की विकास दर पर ले गए, उस दौरान मुद्रास्फीति ऊंचाइयों पर थी … वे प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक नाजुक अर्थव्यवस्था छोड़ गए, जिसे दुनिया कमतर देखती थी… वे (कांग्रेस) देश को उच्च राजकोषीय घाटा, उच्च मुद्रास्फीति, कम वृद्धि, बहुत कम विदेशी मुद्रा भंडार छोड़ गए।
गोयल ने कहा, "यूपीए के 10 साल एक असफल प्रयोग थे जिसने एक असफल शासन मॉडल को प्रतिबिंबित किया और देश के लोगों को अपने घुटनों पर ला दिया। यूपीए शासन के दौरान एक के बाद एक भ्रष्टाचार के घोटाले सामने आए।"
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि सरकार चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को समर्थन देने पर पुनर्विचार नहीं कर रही है, जैसा कि हाल में आर्थिक समीक्षा में कहा गया था।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी रिपोर्ट है जो नए विचारों के बारे में बात करती है। गोयल ने कहा कि यह समीक्षा सरकार के लिए बिल्कुल भी बाध्यकारी नहीं है। देश में चीनी निवेश को समर्थन देने पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
मंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ देश में चीनी निवेश को समर्थन देने पर फिलहाल कोई पुनर्विचार नहीं किया जा रहा है।’’ सरकार ने 2020 में भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से एफडीआई के लिए उसकी मंजूरी अनिवार्य कर दी।
भारत के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले देश चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान हैं। चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच संसद में 22 जुलाई को पेश बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा 2023-24 में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए पड़ोसी देश चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की वकालत की गई थी।
मंत्री ने इसी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बयान दिया। आर्थिक समीक्षा में कहा गया था, चूंकि अमेरिका तथा यूरोप अपनी तात्कालिक आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है।