विदेश

कनाडा में खालिस्तानियों को खुली छूट, अब बच्चों से लगवा रहे हैं भारत विरोधी नारे

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की दोबारा सत्ता हासिल करने की महत्वाकांक्षा इतनी ज्यादा प्रबल हो चुकी हैं कि उन्होंने अपने देश में खालिस्तानियों को भारत विरोधी गतिविधियां करने की खुली छूट दे रखी है। हाल ही में खालिस्तान समर्थकों ने सरी में एक रैली का आयोजन किया और इस दौरान पी.एम. मोदी की आपत्तिजनक झांकी भी निकाली। इस दौरान खालिस्तानी समर्थकों ने रैली में शामिल बच्चों से नारे भी लगावाए। इन नारों में कहा जा रहा था कि हमने इंदिरा गांधी को भी मार डाला और अब पी.एम मोदी की बारी है। बताया जा रहा है कि जस्टिन ट्रूडो की सियासत खालिस्तानियों पर ही टिकी हुई है और आगामी 2025 के आम चुनाव में उन्हें एक बड़ा वोट बैंक छिटकने का डर है जिसके चलते वह खालिस्तानियों की मनमानी को झेल रहे हैं। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि कनाडा के सरी में खालिस्तानी समर्थकों की रैली का मंजर तालिबानी शासन जैसा ही था, जहां उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं था। ट्रडो सरकार के कार्यकाल में इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है, जब खालिस्तानियों को ऐसे कृत्य करने की इजाजत दी गई हो। इससे पहले भी खालिस्तानियों का भारत विरोधी गतिविधियां करने की खुली छूट दी जाती रही है। हालात ऐसे हो चले हैं कि कनाडा और भारत के बेहतर रिश्तों को लेकर आए दिन सवाल उठने लगे हैं। बीते साल उसने अपने यहां मारे गए आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बता डाला था। भारत के विरोध के बाद भी वो बेसिर-पैर बातें करता रहा है। बीते जून माह में कनाडाई संसद में इसी आतंकी की पहली बरसी पर दो मिनट का मौन रखा गया था। एक अन्य रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1960 के दशक में जब कनाडा में लिबरल पार्टी की सरकार आई तो उसे मैनपावर की जरूरत थी। इस दौरान उसने भारतीयों के लिए वीजा नियमों में काफी ढील दे दी, जिससे पंजाब से जहाज भर-भरकर सिख कनाडा पहुंचने लगे। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इनमें चरमपंथी भी शामिल हो गए, जो बाकियों की सोच पर भी असर डालने लगे। सिखों की बढ़ी हुई आबादी को देखते हुए जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो ने उसे अपना वोट बैंक बना लिया। वो हर ऐसा काम करने से बचने लगे, जिससे अलगाववादी नाराज हों। जाहिर तौर पर ये कदम भारत के खिलाफ जाता था और आज भी ऐसा ही हो रहा है। वर्तमान में कनाडा सरकार और सिख संगठनों दोनों को ही एक-दूसरे की जरूरत है। साल 2019 में चुनाव के दौरान जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी मेजोरिटी से 13 सीट पीछे थी। तब सरकार को जगमीत सिंह धालीवाल की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने सपोर्ट दिया था। जगमीत सिंह धालीवाल को खालिस्तानी चरमपंथी बताया जाता है, जिनका वीजा साल 2013 में भारत ने रिजेक्ट कर दिया था। सिखों की यही पार्टी ब्रिटिश कोलंबिया को रूल कर रही है। इससे साफ है कि ट्रूडो के पास भारत विरोधी आवाजों को नजरअंदाज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

कनाडा में 24 लाख भारतीय

कनाडा में भारतीय मूल के 24 लाख लोग हैं। इनमें से करीब साढे 7 लाख सिख ही हैं। इनकी ज्यादा जनसंख्या ग्रेटर टोरंटो, वैंकूवर, एडमोंटन, ब्रिटिश कोलंबिया और कैलगरी में है। चुनाव के दौरान ये हमेशा बड़े वोट बैंक की तरह देखे जाते हैं। यहां तक कि वहां के मेनिफेस्टो में इस कम्युनिटी की दिक्कतों पर जमकर बात होती है। अक्टूबर 2025 में कनाडा में इलेक्शन्स हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इसी वजह से वर्तमान सरकार वहां बसे खालिस्तानी अलगाववादियों को खुश करने के लिए तरह-तरह के काम कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *