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रागिनी नायक को गाली देने वाला वीडियो ना फर्जी ना संपादित, दिल्ली हाई कोर्ट में ट्विटर ने दी जानकारी…

रजत शर्मा द्वारा कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दायर मानहानि मामले में गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) की एंट्री हुई।

जिसने दिल्ली हाई कोर्ट में एक अर्जी देकर अदालत को बताया कि कांग्रेस नेता रागिनी नायक समेत अन्य नेताओं द्वारा पोस्ट किया गया वीडियो फर्जी या एडिटेड नहीं है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने लाइव टीवी पर कथित रूप से रागिनी को गाली दी थी

एक्स ने हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर कोर्ट से अपने उस अंतरिम आदेश को भी रद्द करने की मांग की, जिसमें उसने एक्स के साथ-साथ कांग्रेस नेता रागिनी नायक, जयराम रमेश और पवन खेड़ा को संबंधित वीडियो हटाने का निर्देश दिया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने तर्क दिया है कि पूरी घटना का रॉ फुटेज (अनएडिटेड वीडियो) अभी भी इंडिया टीवी के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है और इसमें वह उन शब्दों का इस्तेमाल करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनका उन्होंने खंडन किया है।

एक्स ने आवेदन में कहा ‘वादी के चैनल का अपना रॉ फुटेज, जिसे इस साल 4 जून यानी चुनाव नतीजे वाले दिन लाइव स्ट्रीम किया गया था, इसमें वादी कुछ कहते हुए दिख रहे हैं, यह इंडिया टीवी के अपने यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है।

ऐसे में प्लेटफॉर्म पर शेयर वीडियो और इंडिया टीवी द्वारा लाइव स्ट्रीम किए गए फुटेज के बीच तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों वीडियो की सामग्री एक जैसी है। इस प्रकार, पोस्ट में शेयर वीडियो प्रथम दृष्टया वास्तविक है और इंडिया टीवी के अपने यूट्यूब चैनल की लाइव स्ट्रीम से मेल खाता है, जो अभी भी ऑनलाइन उपलब्ध है।’ 

एक्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने हाई कोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का पक्ष रखा। उन्होंने और कहा कि रजत शर्मा के मुकदमे का पूरा आधार यही है कि उन्होंने नायक के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया, लेकिन अगर वीडियो को ध्यान से देखें और ईयरफोन लगाकर सुना जाए तो उन्हें कुछ बुदबुदाते हुए सुना जा सकता है।

एक्स के वकील राव ने दलील दी कि शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई ट्रांसक्रिप्ट में कहा गया है कि नायक के साथ उनकी बातचीत के बाद कुछ नहीं कहा गया, लेकिन वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि उन्होंने कुछ कहा था। उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसा मामला है जिसमें वादी का कहना है कि उन्होंने कुछ नहीं कहा। लेकिन यदि आप वीडियो को ध्यान से सुनते हैं, तो पता चलता है कि उन्होंने कुछ कहा था… प्रत्यक्ष रूप से, मैं यह दिखाने में सक्षम हूं कि कुछ कहा गया था… केवल इसी आधार पर, (रजत शर्मा का) मुकदमा समाप्त होना चाहिए… और यह आदेश (अंतरिम आदेश) समाप्त होना चाहिए’।

उधर तीनों कांग्रेस नेताओं की ओर गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने कहा कि वे वीडियो हटाने वाले आदेश के लिए एक आवेदन भी दायर करेंगे। इस बीच रजत शर्मा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद संबंधित ट्वीट अभी तक हटाए नहीं गए हैं इसलिए जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने प्रतिवादियों से अदालत के आदेश का पालन करने और ट्वीट हटाने को कहा।

इससे पहले हाई कोर्ट ने 14 जून को एकपक्षीय आदेश पारित करते हुए तीनों कांग्रेस नेताओं रागिनी नायक, जयराम रमेश और पवन खेड़ा को सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो हटाने का निर्देश दिया था। जिन्होंने उस क्लिप को शेयर करते हुए आरोप लगाया था कि रजत शर्मा ने लोकसभा चुनाव परिणामों पर चर्चा के दौरान लाइव टेलीविजन पर नायक को अपशब्द कहे और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। 

वहीं शर्मा के वकील ने का कहना था कि चार जून की शाम को चैनल पर बहस हो रही थी, और कांग्रेस नेताओं ने 10 एवं 11 जून को ट्वीट करना शुरू किया था। उन्होंने तर्क दिया था कि शो की एक क्लिप प्रसारित की जा रही है जिसमें एक अपमानजनक शब्द डाला गया था, जबकि मूल फुटेज में ऐसी कोई सामग्री नहीं है।

इस मामले में रजत शर्मा ने नायक, खेड़ा और रमेश के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है और 100 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की है। 

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